जीवन में सुख-शांति चाहते हैं तो संतुष्टि का भाव होना बहुत जरूरी है। जो लोग संतुष्ट रहते हैं, वे अभावों में भी दुखी नहीं होते हैं। दूसरी ओर जो लोग अपनी चीजों से संतुष्ट नहीं रहते हैं, दूसरों से जलन की भावना रखते हैं, वे सभी सुख-सुविधाएं होने के बाद भी सुखी नहीं रह पाते हैं।