वैज्ञानिकों ने पॉली (2-एक्रिलामिडो-2-मिथाइलप्रोपेनसल्फोनिक एसिड), पॉलीएनिलीन के छोटे मॉलिक्यूल्स और हाई कंडक्टर पॉली (3,4-एथिलीनडाइऑक्सीथियोफीन) पॉलीस्टाइनिन सल्फोनेट (PEDOT:PSS) के बड़े मॉलिक्यूल्स को मिलाकर यह मटेरियल बनाया है।

जब इस पर कम फोर्स लगाया गया, तब इसका शेप और साइज बदल गया, लेकिन जब फोर्स बढ़ाई गई तब यह मटेरियल और ज्यादा कठोर व्यवहार करने लगा। इसमें 10% PEDOT:PSS की मात्रा बढ़ाने पर इसकी एडॉप्टिव ड्यूरेबिलिटी और कन्डक्टिविटी भी बढ़ गई।

इसी थ्योरी से पॉलीमर बनाना चाह रहे साइंटिस्ट्स
रिसर्चर्स इस थ्योरी का इस्तेमाल पॉलीमर के साथ भी करना चाहते हैं, जिनसे ये वियरेबल्स बनाए जा सकेंगे। इसके लिए वैज्ञानिक कंजस्टेड पॉलीमर का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो नरम और कोमल रहते हुए इलेक्ट्रिसिटी कंडक्ट करने में मदद करते हैं।

इसके अलावा इस मटेरियल से 3D प्रिंटर की मदद से मानव अंगों को भी प्रिंट किया जा सकेगा। दरअसल, यह एडॉप्टिव ड्यूरेबिलिटी का सिद्धांत फॉलो करता है। इससे बने पदार्थ कठोर वातावरण में भी डैमेज नहीं होंगे। बल्कि इन पर जितनी ज्यादा फोर्स लगाई जाएगी, ये उतना ही ज्यादा टफ यानी कठोर बिहेवियर शो करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *